मेरे मित्र

Monday, April 29, 2013

आह

तनहाइयों का दर्द 
तुम क्या जानो ,
तुमने तो हर बार ,
एक से अलग होने से पहले ,
दुसरे को ढूंढ लिया था ,
और किसी को फर्क भी न पड़ा था 
तुम्हारे ऐसे होने से ,
क्योंकि आइना बीच में था ,
और तुम्हारे तत्कालीन अक्स भी 
वैसे ही थे जैसे
तुम |
पर अब तुम्हे मालूम होगा 
आह का मतलब 
जो किसी की तन्हाई से निकल 
तेरी भीड़ भरी दुनिया से 
तुझे छीन ,
दे देगी तुझे भी 
अकेलेपन की आग |

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