मेरे मित्र

Thursday, May 2, 2013

बस तुम

क्यूँ तुम बार बार ,
ये जान कर 
अपना पुरुषत्व 
पुष्ट करना चाहते हो ,
की कोई नहीं है तुम्हारे अतिरिक्त ,
जीवन में मेरे ,
देखी  है तुमने तो मेरी यात्रा ,
जिसका प्रारंभ भले तुमसे न हो ,
पर जिसका अंत ,
तुम हो 
बस तुम |

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