अनुभव
मेरे मित्र
Thursday, May 2, 2013
बस तुम
क्यूँ तुम बार बार ,
ये जान कर
अपना पुरुषत्व
पुष्ट करना चाहते हो ,
की कोई नहीं है तुम्हारे अतिरिक्त ,
जीवन में मेरे ,
देखी है तुमने तो मेरी यात्रा ,
जिसका प्रारंभ भले तुमसे न हो ,
पर जिसका अंत ,
तुम हो
बस तुम |
2 comments:
Munish
May 2, 2013 at 8:44 AM
Bahut Sunder
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swadha
May 2, 2013 at 11:06 PM
धन्यवाद् मुनीश जी ..............
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Bahut Sunder
ReplyDeleteधन्यवाद् मुनीश जी ..............
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