मेरे मित्र

Wednesday, May 8, 2013

बुरे स्वप्न

जब हर दर्द का कारन मैं हूँ ,
जो उसे मिले उनका भी
और जो मुझे मिले उनका भी .......
तो जीने का क्या मकसद
जब रोज़ रोज़ कुरेदा ही जाना है
उन ज़ख्मों को
और बना देना है नासूर उन्हें |
रोज़ सोच कर सोती हूँ ,
आज वो बुरे स्वप्न नींद नहीं ख़राब करेंगे
पर पूरे दिन मस्तिष्क में
भरे जाते हैं ,
वही विषैले स्वप्न ,
जो रात की नींद को
कर देते हैं बेचैन
और
फिर उन्ही स्वप्नों के साथ
जिन्हें मैं देखना नहीं ,
जी लेती हूँ मैं
एक नयी रात
खुली आँखों से |

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